सद्गुरु जग्गी वासुदेव एक प्रसिद्ध योगी और आध्यात्मिक गुरु हैं, जो जीवन जीने के सही तरीकों पर अपने विचार साझा करते हैं। उनके अनुसार, जीवन को पूरी तरह से जीने के लिए हमें अपनी पसंद-नापसंद से ऊपर उठकर, हर अनुभव में पूरी तरह शामिल होना चाहिए। वे कहते हैं कि अध्यात्म केवल वृद्धों के लिए नहीं, बल्कि हर उम्र के लोगों के लिए महत्वपूर्ण है, और इसे जीवन में शामिल करने से हम अधिक संतुलित और खुशहाल जीवन जी सकते हैं।

सद्गुरु बताते हैं कि जीवन का सही तरीका यह है कि हमारी उपस्थिति लोगों को पसंद आए, और हमारी अनुपस्थिति उन्हें खले। इसके लिए हमें अपने व्यवहार और सोच में सकारात्मकता लानी होगी, ताकि हम समाज में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकें।

सद्गुरु का यह वाक्य हर किसी को प्रेरित करता है:
“जीवन को बेहतर जीने के लिए सबसे जरूरी है कि आप अपने अंदर बदलाव लाएं। बाहरी परिस्थितियां अपने आप संभल जाएंगी।”

सद्गुरु अक्सर अपने व्याख्यानों में भक्ति को एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक प्रक्रिया के रूप में बताते हैं। उनका भक्ति का दृष्टिकोण पारंपरिक अर्थों से थोड़ा अलग और आधुनिक संदर्भ में है।
- भक्ति का अर्थ:
सद्गुरु कहते हैं कि भक्ति सिर्फ भगवान की पूजा नहीं है। यह खुद को जीवन और अस्तित्व के प्रति पूरी तरह समर्पित कर देने की भावना है।- यह अहंकार से परे जाकर, जीवन के हर पहलू को स्वीकारने की प्रक्रिया है।
- भक्ति का मतलब सिर्फ मंत्र जाप या पूजा करना नहीं, बल्कि अपने जीवन के हर पहलू में पूर्णता से शामिल होना है।
- भक्ति और आत्मसमर्पण:
सद्गुरु भक्ति को आत्मसमर्पण के रूप में परिभाषित करते हैं, जहां आप अपने अस्तित्व को बड़े उद्देश्य या प्रकृति के साथ जोड़ते हैं।

- भक्ति का आधुनिक दृष्टिकोण:
भक्ति के पारंपरिक तरीकों को वे एक समर्पण की भावना के रूप में देखते हैं, जो आपके जीवन को सहज और आनंदित बनाता है।- उनका कहना है कि भक्ति का मतलब कमजोर या धार्मिक होना नहीं है, बल्कि यह एक ताकत है, जो आपको भीतर से स्थिर और मजबूत बनाती है।
- “सद्गुरु के इन विचारों को विस्तार से समझने के लिए, आप निम्नलिखित वीडियो देख सकते हैं: 👇👍https://youtu.be/JYCGydsp4mc