Rahashyamayi mandir भारत का 13वीं शताब्दी का प्राचीन रहस्यमयी मंदिर जो दिन का समय बताता है। हम सब भारतप्रेमी जानते हैं की, भारतीय संस्कृति अपने अद्वितीय कला और शिल्प के लिए प्रसिद्ध है। अपने अद्वितीय कला और शिल्प का प्रदर्शन हमें अनेक भारतीय मंदिरों में देखने को मिलता है। भारतीय प्राचीन मंदिरों और शिल्पकला में कई ऐसे उदाहरण मिलते हैं, जहां शिल्पकारों ने अपने ज्ञान और कला का प्रदर्शन किया है। आपको भी जानकर हैरानी होगी कि इस मंदिर में पत्थर की बड़ी सूर्य घड़ी में हम आज भी समय जान सकते हैं। चलिए आगे जानते हैं कि वो मंदिर कहां स्थित हैं और इसके पीछे का रहस्य क्या है।
कोणार्क सूर्य मंदिर और इसका चिरकाल समय यंत्र:
एक ऐसा मंदिर जो “चिरकाल समय यंत्र” के रूप में प्रसिद्ध है, वह कोणार्क सूर्य मंदिर (Konark Sun Temple) है, जो ओडिशा, भारत में स्थित है। जी हां यही वो मंदिर हैं जहां दिन में हम सूर्य के कल से दिन का समय जान सकते हैं। आगे पढने से पहले हमें उन शिल्पकारों की सराहना (appreciate) करनी चाहिए। हम आगे जानेंगे कि ये समय यंत्र कार्य कैसे करता है।
सूर्य घड़ी
कोणार्क सूर्य मंदिर के प्रांगण में एक बड़ी चक्राकार रचना है, जो एक प्राकृतिक समय यंत्र (सूर्य घड़ी) के रूप में कार्य करती है। इस मंदिर के मुख्य चक्र (पहिए) की इस प्रकार रचना (डिज़ाइन) कि गई थी कि यह दिन के समय को आज भी दर्शाता है।
कोणार्क के चक्रों से समय मापने की प्रक्रिया सरल है
ऐसे जान सकते हैं समय को –
हर चक्र (पहिया) में 8 प्रमुख स्पोक (आरे) और 8 छोटे स्पोक होते हैं।
ये 8 बड़े स्पोक दिन को 8 हिस्सों में विभाजित करते हैं, जिसे प्रहर कहा जाता है।
हर प्रहर 3 घंटे का होता है, और 8 छोटे स्पोक इन 3 घंटों को और छोटे हिस्सों (घंटों और मिनटों) में विभाजित करते हैं।
प्रकाश और छाया के आधार पर समय को घंटों और मिनटों में मापा जा सकता है।
सूर्य की रोशनी:
सूर्य की रोशनी पहिए के एक विशेष स्पोक (आरे) पर छाया डालती है।
छाया की स्थिति से यह पता चलता है कि दिन का कौन सा समय है।
छाया की स्थिति:
सुबह के समय, छाया पहिए के एक ओर होती है, और जैसे-जैसे दिन बढ़ता है, छाया की स्थिति बदलती जाती है। दोपहर में, छाया सबसे छोटी होती है और फिर शाम को दूसरी दिशा में बढ़ती है।
घंटों और मिनटों का निर्धारण:
पहिए के 8 बड़े स्पोक दिन को 8 हिस्सों में विभाजित करते हैं।
प्रत्येक बड़े स्पोक के बीच के छोटे स्पोक घंटों और मिनटों को दर्शाते हैं।
यदि आप छाया की स्थिति को सही तरीके से पढ़ें, तो आप घंटों और मिनटों को सटीक रूप से माप सकते हैं।
विशेषताएँ और अनूठापन:
12 पहिए और वर्ष:
कोणार्क रथ के 12 पहिए वर्ष के 12 महीनों को दर्शाते हैं।
सूर्य की गति:
मंदिर को इस प्रकार डिज़ाइन किया गया है कि यह सूर्य की दैनिक और वार्षिक गति के अनुरूप समय माप सके।
पृथ्वी का झुकाव:
पहिए और उनकी छड़ें पृथ्वी के झुकाव और अक्षांश के आधार पर स्थापित की गई हैं।
समय जानने का उदाहरण (Example):
उदाहरण के तौर पर पे देखते हैं ,
- मान लें कि आप सुबह के समय पहिए की छाया देख रहे हैं।
- यदि छाया एक बड़े स्पोक पर पड़ रही है, तो यह प्रहर का आरंभ है (जैसे सुबह 6 बजे, 9 बजे आदि)।
- यदि छाया बड़े और छोटे स्पोक के बीच है, तो यह मिनटों और घंटे के अंश को दिखाती है।
- इसी तरह, जैसे-जैसे सूर्य आगे बढ़ता है, छाया की स्थिति बदलती है और समय का पता चलता है।
अन्य खगोलीय महत्व:
- कोणार्क सूर्य मंदिर का संपूर्ण डिज़ाइन सूर्य और खगोल विज्ञान पर आधारित है।
- मंदिर की दिशा पूर्व की ओर है, जहां से सूर्योदय होता है।
- यह रथ भगवान सूर्य के समय चक्र और ब्रह्मांडीय ऊर्जा को दर्शाता है।
और जानकारी के लिए ये वीडियो देख सकते हैं।
आज के समय में महत्व:
हालांकी आज के आधुनिक विज्ञानके घड़ियों ने समय मापने की प्रक्रिया को सरल बना दिया है , लेकिन कोणार्क मंदिर की सूर्य घड़ी हमें प्राचीन भारतीय खगोल विज्ञान, वास्तुकला, और गणितीय ज्ञान का बेजोड़ उदाहरण दिखाती है। यह न केवल वैज्ञानिक चमत्कार है, बल्कि हमारे इतिहास और संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है, और हमारा दुनियाके सामने गौरव भी बढ़ रहा है।
निष्कर्ष:
कोणार्क सूर्य मंदिर की सूर्य घड़ी न केवल एक प्राचीन समय मापक यंत्र है, बल्कि यह यह दर्शाती है कि हमारे पूर्वजों को खगोल विज्ञान, गणित और वास्तुकला का गहरा ज्ञान था। यदि आप कभी कोणार्क सूर्य मंदिर जाएं, तो इन पहियों की छाया को देखकर समय मापने की कोशिश करें—यह न केवल रोचक होगा, बल्कि हमारे गौरवशाली अतीत की एक झलक भी प्रदान करेगा। 🌞
खास वाचकोंके लिए
वाचको , आपको तो भारतीय संस्कृति के बारे में ऐसी बहुत सारी जानकारी है हालांकी इसका ये एक अदभुत नमुना आपके लिए लेकर आये हैं , कमेंट बॉक्स में इसके बारें में आपकी राय जरूर दे।
धन्यवाद ।