Maha kumbh Mela Prayagraj 2025 महाकुंभ का मेला वक्फ बोर्ड का बिगड गया खेला!

Maha kumbh Mela Prayagraj 2025 महाकुंभ का मेला वक्फ बोर्ड का बिगड गया  खेला!

  • महाकुंभ 2025 के आयोजन को लेकर हाल ही में एक विवाद उत्पन्न हुआ है, जिसमें वक्फ बोर्ड की भूमि पर महाकुंभ के आयोजन का दावा किया गया है। ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी बरेलवी ने कहा है कि प्रयागराज के झूंसी क्षेत्र में लगभग 54 बीघा भूमि वक्फ बोर्ड की संपत्ति है, और महाकुंभ की तैयारियां इसी भूमि पर की जा रही हैं। उन्होंने यह भी कहा कि मुसलमानों ने इस पर कोई आपत्ति नहीं जताई है।वक्फ बोर्ड का कोई  दस्तैवज नहीं।

    हालांकि सूत्रों के अनुसार, उन्होंने इस दावे को वापस ले लिया है। उनसे जब पूछा गया कि आप इस ज़मीन पर दावा   किस आधार पर कर रहे हैं, तो उन्होंने कहा कि उनके पास ऐसा कोई भी दस्तावेज़ नहीं है जो इस पर हक जताए। उन्हें किसी एक व्यक्ति ने बताया कि यह हमारी ज़मीन है, और इसी आधार पर उन्होंने यह विवाद खड़ा कर दिया था।

    वक्फ बोर्ड का दावा वापस: मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी बरेलवी ने यह दावा किया था कि महाकुंभ की तैयारियां वक्फ बोर्ड की ज़मीन पर की जा रही हैं, लेकिन बाद में उन्होंने इस दावे को वापस ले लिया। जब उनसे यह पूछा गया कि उनके पास इस ज़मीन पर हक जताने के लिए क्या दस्तावेज़ हैं, तो उन्होंने कहा कि उनके पास कोई ऐसा दस्तावेज़ नहीं है जो इस पर अधिकार साबित कर सके।

    इस दावे पर प्रतिक्रिया देते हुए, साध्वी ऋतंभरा ने कहा कि महाकुंभ धर्म और पुण्य की प्राप्ति का अवसर है, और इसे राजनीति से अलग रखना चाहिए। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि वक्फ बोर्ड की सभी संपत्तियों को सरकार को हस्तांतरित किया जाना चाहिए।

    इस विषय पर अधिक जानकारी के लिए, आप नीचे दिए गए वीडियो देख सकते हैं:

    महाकुंभ 2025 की तैयारियाँ प्रयागराज में विशाल पैमाने पर की जा रही हैं, और इन तैयारियों के लिए बहुत बड़ी ज़मीन का उपयोग किया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार, महाकुंभ के आयोजन के लिए लगभग 1,500 हेक्टेयर (लगभग 3,700 एकड़) भूमि का उपयोग किया जाएगा।
    इन तैयारियों में मेला क्षेत्र, यातायात मार्ग, अस्थाई शिविर, शौचालय, जल आपूर्ति, और अन्य आवश्यक ढाँचे शामिल हैं, जो इस बड़े धार्मिक आयोजन की सफलता सुनिश्चित करने के लिए बनाए जा रहे हैं।
    महाकुंभ मेला हिन्दू धर्म के अनुयायियों के लिए एक आस्था और भक्ति का प्रतीक है, और यह न केवल भारत, बल्कि दुनिया भर से लोगों को आकर्षित करता है।

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