MAHA KUMBH MELA 2025 सद्गुरु ने बताया एक ऐसा मंत्र जो आप जहां कहीं हो वहीं से महाकुंभ पर्व की ऊर्जा प्राप्त कर सकते हैं, जानिए क्या हैं वो शक्तिशाली मंत्र!
जग्गी वासुदेव, जिन्हें “सद्गुरु” के नाम से जाना जाता है, ने कई मौकों पर कुंभ मेले के महत्व और उसकी आध्यात्मिकता पर चर्चा की है। उनके विचार कुंभ मेले को न केवल एक धार्मिक आयोजन, बल्कि मानव चेतना और आध्यात्मिक विकास का एक प्रमुख अवसर मानते हैं। सद्गुरु ने 7 दिनों के लिए 21 बार आम् नमः शिवाय इस मंत्र का जाप करने के लिए कहां हैं। उन्होंने इस मंत्र के उच्चारण की एक खास तकनीकी बताई गई है। आप नीचे उनका वीडियो देख सकते हैं। हमारी यही सलाह रहेगी कि उनके द्वार दिए गए निर्देशेंनुसार ही इस मंत्र जाप का उच्चारण करें।
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https://apanibaat.com/maha-kumbh-mela-2025/
कुंभ मेले का महत्व
जब जल-धाराएं एक विशेष बल के साथ विशिष्ट अक्षांशीय स्थानों पर साल के खास समय पर मिलती हैं, तो यह जीवन के लिए एक विशाल संभावना पैदा करती है। आपके शरीर का दो-तिहाई हिस्सा जल है। अगर आप ऐसे स्थानों पर होते हैं, जहां जल एक विशेष गतिशीलता में होता है, तो यह आपके शरीर पर जबरदस्त प्रभाव डालता है। खासतौर पर हर 12 साल के सौर चक्र में एक ऐसा क्षण आता है, जब इसका प्रभाव अधिकतम होता है। यही महाकुंभ है।
– सद्गुरु
- सद्गुरु के अनुसार, कुंभ मेला केवल एक धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि यह एक ऊर्जा-संचार का विशाल आयोजन है। यह दुनिया का सबसे बड़ा आध्यात्मिक मेला है, जिसमें लाखों लोग शामिल होते हैं।
- उनका कहना है कि कुंभ मेला पृथ्वी पर सबसे बड़ा “योगिक साइंस” का एक्सप्रेशन है, जहां अलग-अलग साधु, संत और योगी अपने ज्ञान और ऊर्जा को साझा करने आते हैं।
स्नान का वैज्ञानिक और आध्यात्मिक महत्व

- सद्गुरु बताते हैं कि कुंभ मेला विशेष खगोलीय परिस्थितियों में आयोजित होता है, जो मानव शरीर और मन पर गहरा प्रभाव डालता है।
- उन्होंने कुंभ में संगम (गंगा, यमुना और सरस्वती का मिलन) में स्नान के महत्व को समझाते हुए कहा है कि यह केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह ऊर्जा और शुद्धिकरण की प्रक्रिया है।
- संगम में स्नान करने से शरीर और मन की नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है और एक नई चेतना का अनुभव होता है।
योग और साधना के लिए आदर्श समय
- कुंभ मेला योग और ध्यान की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है। सद्गुरु ने कहा है कि यह आयोजन हमें अपने भीतर की चेतना को जागृत करने का अवसर प्रदान करता है।
- उन्होंने इस बात पर जोर दिया है कि कुंभ के दौरान योग, ध्यान और साधना का अभ्यास करने से हमें ब्रह्मांडीय ऊर्जा से जुड़ने में मदद मिलती है।
आध्यात्मिक विरासत और संस्कृति
- सद्गुरु के अनुसार, कुंभ मेला भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है। यह हजारों वर्षों से मानवता के लिए एक प्रेरणा स्रोत रहा है।
- उन्होंने इस बात पर जोर दिया है कि इस मेले में भाग लेना केवल परंपरा का पालन करना नहीं है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक जड़ों को समझने का अवसर है।
सद्गुरु का संदेश कुंभ मेले में शामिल होने वालों के लिए
कुंभ मेले में भाग लेना एक व्यक्ति को अपने जीवन को गहराई से देखने का अवसर देता है। यह मेले का हिस्सा बनकर मानव चेतना के उच्च स्तर को प्राप्त करने की दिशा में एक कदम है।
इंटरनेशनल ध्यान और आकर्षण
- कुंभ मेले को केवल भारतीयों के लिए ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए भी महत्वपूर्ण बताया है। यह मेला सभी के लिए एक ऐसा मंच है, जहां आध्यात्मिकता और विज्ञान का संगम होता है।
आप सद्गुरु के कुंभ मेले पर विचारों की गहरी समझ के लिए, यह वीडियो बेहद उपयोगी है। इसमें उन्होंने कुंभ के ऊर्जा और साधना के महत्व को सरल भाषा में समझाया है। YOUTUBE VIDEO देख सकते हैं।
https://youtu.be/8MfflGp-Vec?si=tJdfOV8qzIdZpL2K
अंत में
कुंभ मेला एक ऐसा आयोजन है, जो व्यक्तिगत और सामूहिक चेतना को ऊंचा उठाने का एक अद्भुत अवसर प्रदान करता है। सद्गुरु इसे मानवता के लिए एक “जागरण का क्षण” मानते हैं।