Switzerland burqa news स्विट्ज़रलैंड में बुर्का हुआ बेनकाब ! 1 जनवरी 2025 से उल्लंघन करने पर भरना पड़ेगा 96,000 रुपये तक का जुर्माना । स्विट्ज़रलैंड ने 1 जनवरी 2025 से सार्वजनिक स्थानों पर चेहरा ढकने पर प्रतिबंध लागू कर दिया है, जिसमें बुर्का और नकाब शामिल हैं। इस कानून का उल्लंघन करने पर 1,000 स्विस फ्रैंक (लगभग 96,000 रुपये) तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। चौंक गए आप जुर्माना सुनाके! यह निर्णय 2021 में हुए जनमत संग्रह के बाद लिया गया, जिसमें 51.21% स्विस नागरिकों ने चेहरे को ढकने वाले कपड़ों पर प्रतिबंध के पक्ष में मतदान किया था। स्विट्ज़रलैंड से पहले बेल्जियम, फ्रांस, डेनमार्क, ऑस्ट्रिया, नीदरलैंड और बुल्गारिया जैसे यूरोपीय देशों में भी सार्वजनिक स्थानों पर चेहरा ढकने पर प्रतिबंध लागू है।इस कानून में कुछ अपवाद भी हैं, जैसे स्वास्थ्य, सुरक्षा, पारंपरिक रीति-रिवाजों या मौसम की स्थिति के कारण चेहरा ढकना आवश्यक होने पर यह प्रतिबंध लागू नहीं होगा। हालांकि , भारत में बुर्का प्रतिबंध (Burkha Ban) को लेकर कोई राष्ट्रीय स्तर का कानून नहीं है। लेकिन इस विषय पर समय-समय पर विवाद और चर्चाएं जरूर होती रही हैं। चलिए आगे जानते हैं क्या है मुद्दा।
स्विट्ज़रलैंड में बुर्का प्रतिबंध से जुड़ी जानकारी
यह प्रतिबंध सार्वजनिक परिवहन, रेस्तरां, दुकानों और सड़कों पर लागू होता है।
कानून का उद्देश्य:
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- इसका उद्देश्य “सार्वजनिक सुरक्षा” और “सामाजिक सामंजस्य” को बढ़ावा देना बताया गया है।
- इसके समर्थकों का तर्क है कि चेहरा ढकने वाले कपड़े स्विट्ज़रलैंड की खुली संस्कृति के खिलाफ हैं,लोकशाही के भी ख़िलाफ़ याने कि समानता के ख़िलाफ़।
- लोकशाही राष्ट्र स्विट्ज़रलैंड में एक कदम समानता की और मन जा रहा हैं। वैशे भारत भी एक लोकशाही राष्ट्र है।
हर चीज़ का कुछ न कुछ अपवाद होते हैं यहाँ भी कुछ अपवाद हैं –
अपवाद:
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- धार्मिक स्थलों पर चेहरा ढकने की अनुमति दी गई है।
- कोविड-19 महामारी जैसे विशेष स्वास्थ्य कारणों से मास्क पहनने की अनुमति है।
- अन्य सांस्कृतिक या पारंपरिक आयोजनों में अस्थायी रूप से चेहरा ढकने की छूट दी गई है।
- वैसे बुरखे और नकाब पहननेवालों की तदाद स्विट्ज़रलैंड में कुछ ज्यादा नहीं है।
स्विट्ज़रलैंड की मुस्लिम आबादी:
- स्विट्ज़रलैंड में मुस्लिम आबादी लगभग 5% है। उनमें से बुर्का या नकाब पहनने वाली महिलाओं की संख्या बहुत कम है।
- इसलिए, इस प्रतिबंध को कई लोगों ने प्रतीकात्मक और राजनीतिक कदम माना है।
भारत में इस तरह का कोई व्यापक प्रतिबंध लागू नहीं किया गया है। भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है और यहां सभी धर्मों को अपने रीति-रिवाजों और परंपराओं का पालन करने की आजादी है।संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत, प्रत्येक नागरिक को धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार प्राप्त है। इसलिए, बुर्का पहनना या न पहनना किसी भी व्यक्ति का व्यक्तिगत और धार्मिक अधिकार है। किसी विशेष क्षेत्र, संस्था, या संगठन में बुर्का पहनने पर प्रतिबंध हो सकता है, लेकिन यह स्थानीय नियमों या नीतियों पर निर्भर करता है।
कभी-कभी बुर्के पर प्रतिबंध की मांग राजनीतिक और सामाजिक कारणों से की जाती है, जैसे सुरक्षा चिंताओं या महिलाओं के अधिकारों के संदर्भ में। कुछ संगठनों का मानना है कि बुर्का महिलाओं पर थोपा गया सामाजिक दबाव है, जबकि अन्य इसे महिलाओं की धार्मिक स्वतंत्रता और पहचान का हिस्सा मानते हैं।
- अगर बुर्का पहनने से सार्वजनिक सुरक्षा या संस्थान की नीतियों में बाधा होती है, तो इसे उस विशेष संदर्भ में प्रतिबंधित किया जा सकता है।
- लेकिन यह प्रतिबंध संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) और अनुच्छेद 25 (धार्मिक स्वतंत्रता) के तहत चुनौती दी जा सकती है।
इस निर्णय के बारे में अधिक जानकारी के लिए, आप निम्नलिखित वीडियो देख सकते हैं: