MAHA KUMBH MELA 2025 IN HINDI

प्रयागराज महाकुंभ मेला दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन , आपको भी इसके बारे में जानकारी होनी चाहिए।
महाकुंभ मेला हिंदू धर्म का सबसे बड़ा और पवित्र धार्मिक आयोजन है, जिसमें करोड़ों श्रद्धालु, साधु-संत, अखाड़े और पर्यटक शामिल होते हैं। आपको तो पता ही होगा की, यह मेला त्रिवेणी संगम (गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती नदियों के मिलन स्थल) पर आयोजित होता है। पवित्र महाकुंभ मेले की पौराणिक, धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व की कहानी कई हजारों साल पुरानी है। यूनेस्को मान्यता साल 2017 में कुंभ मेले को यूनेस्को द्वारा मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के रूप में मान्यता दी गई। तो चलो हम इसे विस्तार से जानते हैं ।
महाकुंभ मेले का पौराणिक महत्व
जो पौराणिक कथाएं हैं उनके अनुसार कुंभ मेले का इतिहास हिंदू पौराणिक कथाओं में समुद्र मंथन से जुड़ा हुआ है। देवताओं और असुरों ने अमृत (अमरता का अमृत) प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन किया था जो कि हम सब सुनते आये हैं। आपको बताये जाए की जो मंथन से अमृत निकला था उस अमृत को लेकर देवता और असुरों के बीच 12 दिनों तक युद्ध हुआ। उसी युद्ध के दौरान अमृत की कुछ बूंदें पृथ्वी के चार स्थानों पर गिरीं । जो आज भारत में अलग अलग राज्य में स्थित हैं। सिर्फ इन्ही 4 स्थानों पर इस पवित्र कुंभ मेले का अयोजन होता है।
- प्रयागराज (उत्तर प्रदेश)
- हरिद्वार (उत्तराखंड)
- उज्जैन (मध्य प्रदेश)
- नासिक (महाराष्ट्र)
इन्हीं स्थानों पर कुंभ मेला आयोजित होता है। माना जाता है कि इन जगहों पर स्नान करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। जिसे भारतीय संस्कृति में उच्च स्थान दिया गया है।
कुंभ मेले और ग्रह-नक्षत्रों का संबंध जानकर वैज्ञानिक भी सोच में पड़ गए! अधिक जानकारी के लिए
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कुंभ मेले के प्रकार
- महाकुंभ मेला: हर 12 साल में प्रयागराज में आयोजित होता है। जो इस 2025 में मनाया जा रहा है।
- अर्धकुंभ मेला: हर 6 साल में प्रयागराज और हरिद्वार में होता है।
- कुंभ मेला: हरिद्वार, नासिक, उज्जैन, और प्रयागराज में हर 12 साल के अंतराल पर होता है।
- माघ मेला: यह वार्षिक मेला है, जो हर साल प्रयागराज में माघ महीने (जनवरी-फरवरी) में आयोजित होता है।
इस पवित्र कुंभ मेले की बहुत सारी विषेशताएं हैं। इसको आगे जानते हैं ….
महाकुंभ मेले की विशेषताएं
इस पवित्र कुंभ मेले की बहुत सारी विषेशताएं हैं।
1. त्रिवेणी संगम का महत्व
- त्रिवेणी संगम (गंगा, यमुना और सरस्वती) में स्नान करना पवित्र माना जाता है।
- कहा जाता है कि कुंभ मेले के दौरान संगम में स्नान से व्यक्ति के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
2. शाही स्नान
- मेले का मुख्य आकर्षण शाही स्नान होता है।
- शाही स्नान (Royal Bath): महाकुंभ का सबसे बड़ा और पवित्र अनुष्ठान, जिसमें अखाड़े (संतों के समूह) और नागा साधु सबसे पहले पवित्र स्नान करते हैं।
- शाही स्नान में सबसे पहले अखाड़ों के साधु-संत, नागा साधु और अन्य संप्रदाय के प्रमुख साधु पवित्र स्नान करते हैं।
- इसके बाद आम श्रद्धालु स्नान करते हैं।
- शाही स्नान की तिथियां ज्योतिषीय गणनाओं और ग्रहों की स्थिति के आधार पर तय की जाती हैं।
3. अखाड़े और साधु-संत
- कुंभ मेले में 13 प्रमुख अखाड़े भाग लेते हैं।
- नागा साधु (नग्न साधु) मेले की पहचान होते हैं। वे कठिन तपस्या और कठोर जीवनशैली के लिए जाने जाते हैं।
- अन्य संत और महात्मा भी अपने प्रवचनों और धार्मिक आयोजनों के माध्यम से श्रद्धालुओं का मार्गदर्शन करते हैं।
4. धार्मिक आयोजन
- कुंभ मेला केवल स्नान तक सीमित नहीं है।
- मेले में भजन-कीर्तन, धार्मिक प्रवचन, यज्ञ और दान जैसे धार्मिक कार्य भी किए जाते हैं।
- लाखों लोग अपने गुरुओं और संतों का आशीर्वाद लेने के लिए यहां आते हैं।
5. सामाजिक और सांस्कृतिक आयोजन
- मेले में भारत की सांस्कृतिक विविधता देखने को मिलती है।
- विभिन्न राज्यों से लोग अपनी परंपराओं, रीति-रिवाजों और खानपान के साथ यहां आते हैं।
महाकुंभ मेला 2025 की तिथियां और प्रमुख स्नान
प्रयागराज महाकुंभ मेला 2025 का आयोजन 13 जनवरी 2025 से 26 फरवरी 2025 तक होगा।
इस दौरान कई प्रमुख स्नान तिथियां निर्धारित की गई हैं, जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं:
- 10 जनवरी 2025: पौष शुक्ल एकादशी – महाकुंभ प्रथम स्नान
- 13 जनवरी 2025: पौष पूर्णिमा – महाकुंभ द्वितीया स्नान
- 14 जनवरी 2025: मकर संक्रांति – पहला शाही स्नान
- 29 जनवरी 2025: मौनी अमावस्या – दूसरा शाही स्नान
- 2 फरवरी 2025: बसंत पंचमी – तीसरा शाही स्नान
- 8 फरवरी 2025: माघ शुक्ल एकादशी (जया एकादशी) – महाकुंभ दशम स्नान
- 10 फरवरी 2025: माघ शुक्ल त्रयोदशी (सोम प्रदोष व्रत) – महाकुंभ एकादश स्नान
- 12 फरवरी 2025: माघ पूर्णिमा – महाकुंभ द्वादश स्नान
- 24 फरवरी 2025: फाल्गुन कृष्ण एकादशी – महाकुंभ त्रयोदश स्नान
- 26 फरवरी 2025: महाशिवरात्रि – महाकुंभ चतुर्दश स्नान (अंतिम शाही स्नान)
इन तिथियों के दौरान संगम में स्नान करना अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है।
महाकुंभ मेले में भाग लेने की योजना बना रहे श्रद्धालुओं के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे इन तिथियों को ध्यान में रखते हुए अपनी यात्रा की योजना बनाएं।
अधिक जानकारी और आधिकारिक अपडेट के लिए, आप प्रयागराज जिला प्रशासन की आधिकारिक वेबसाइट पर भी जा सकते हैं।
महाकुंभ मेला 2025 के बारे में अधिक जानकारी के लिए, आप निम्नलिखित वीडियो भी देख सकते हैं:
लाखों श्रद्धालुओं के लिए सुविधाएं
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की सरकार ने इस साल प्रयागराज में हो रहे मेले के लिए विशेष व्यवस्था का प्रबंध किया है। इस मेले के नियोजनपर विशेष लक्ष्य दिया जा रहा है। सरकार और स्थानीय प्रशासन ने मेले के दौरान विशाल स्तर पर व्यवस्थाएं करने की योजना बनाई है:
- आवास: टेंट सिटी, धर्मशालाएं और होटल।
- स्वास्थ्य सेवाएं: अस्थायी अस्पताल और एम्बुलेंस।
- भोजन: सस्ती और मुफ्त भोजन सेवाएं (लंगर)।
- यातायात प्रबंधन: रेलवे, बस सेवाएं और पार्किंग।
- सुरक्षा: सीसीटीवी कैमरे, पुलिस बल और विशेष सुरक्षा बल।
- डिजिटल सेवा: मेले के लिए मोबाइल ऐप और डिजिटल जानकारी।
महत्वपूर्ण टिप्स कुंभ मेले में जाने के लिए
आपने अगर वहां जाने की योजना बनाई है तो इसपर जरूर ध्यान दे।
- जल्दी योजना बनाएं: ठहरने और यात्रा के लिए पहले से तैयारी करें।
- स्नान तिथियां ध्यान में रखें: प्रमुख स्नान वाले दिन भारी भीड़ रहती है।
- सुरक्षा का ध्यान रखें: भीड़ में अपने सामान और परिवार के सदस्यों का ध्यान रखें।
- स्थानीय गाइड लें: संगम और अन्य धार्मिक स्थलों की जानकारी के लिए।
भारतीय सनातन संस्कृति में महाकुंभ मेले का उच्च स्थान है। भले ही आज दुनिया विज्ञान का आविष्कार कर रही है। लेकिन काई साल पहले ही यहां रुसी मुनिओन इस तिथि का महत्व जाना था। और यहां के लोग आजतक इस पवित्र उत्सव की गरिमा जानकर मनाते आ रहे हैं।
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