Popcorn tax :- क्या आप ने सुना हैं पॉपकॉर्न Tax

पॉपकॉर्न पर लगने वाला टैक्स (GST):

  1. पॉपकॉर्न का वर्गीकरण:
    पॉपकॉर्न को एक खाद्य उत्पाद के रूप में वर्गीकृत किया गया है। इसे दो तरह से बेचा जाता है:

    • पैक्ड पॉपकॉर्न (ब्रांडेड): ब्रांडेड कंपनियों द्वारा पैक किया हुआ पॉपकॉर्न।
    • अनपैक्ड/खुला पॉपकॉर्न: स्ट्रीट वेंडर्स या थियेटर्स में मिलने वाला पॉपकॉर्न।
  2. GST दरें:
    • पैक्ड और ब्रांडेड पॉपकॉर्न पर 18% GST लगता है।
    • अनपैक्ड और बिना ब्रांड का पॉपकॉर्न आमतौर पर कम या बिना GST के बेचा जाता है (स्थानीय नियमों के अनुसार)।
    • यदि पॉपकॉर्न सिनेमा हॉल या मल्टीप्लेक्स में बेचा जाता है, तो इसमें उच्च GST दरें शामिल हो सकती हैं, क्योंकि इसे एक प्रीमियम सेवा माना जाता है।

पॉपकॉर्न पर टैक्स का प्रभाव:

  1. उपभोक्ता पर प्रभाव:
    पॉपकॉर्न पर अधिक GST दरें इसे महंगा बनाती हैं, विशेषकर सिनेमा हॉल या मल्टीप्लेक्स में। यह उपभोक्ताओं के बजट पर असर डालता है।
  2. मल्टीप्लेक्स और थिएटर के लिए:
    सिनेमा हॉल में पॉपकॉर्न जैसे खाद्य पदार्थों पर उच्च मार्जिन होता है। GST के कारण इसकी कीमत और बढ़ जाती है।
  3. स्थानीय विक्रेता और छोटे व्यवसाय:
    खुले पॉपकॉर्न पर कम टैक्स या टैक्स-फ्री होने से छोटे व्यवसायों को फायदा होता है।

मल्टीप्लेक्स की कमाई का स्रोत:

टिकटों की बिक्री से ज्यादा मुनाफा फूड एंड बेवरेज (F&B) से आता है।

सिनेमा हॉल पॉपकॉर्न, कोल्ड ड्रिंक्स और अन्य खाद्य पदार्थों पर भारी मुनाफा कमाते हैं।

उदाहरण: ₹20 के पॉपकॉर्न के पैकेट को ₹200-₹400 में बेचा जाता है।

उपभोक्ताओं की शिकायत:

अधिक कीमतों को लेकर उपभोक्ता सोशल मीडिया और अदालतों में आवाज उठाते रहे हैं।

2018 में बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा था कि “सिनेमा हॉल में खाद्य पदार्थ की कीमतें नियंत्रित होनी चाहिए।”

  • मल्टीप्लेक्स मालिकों का तर्क है कि उनकी संचालन लागत (रखरखाव, स्टाफ, लाइसेंस फीस) अधिक है, इसलिए कीमतें भी ज्यादा हैं।
  • टैक्स का बोझ आमतौर पर उपभोक्ता पर डाला जाता है।

कोर्ट केस से जुड़े उदाहरण:

(क) बॉम्बे हाई कोर्ट, 2018:

  • बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई की जिसमें मल्टीप्लेक्स में खाद्य पदार्थों की अत्यधिक कीमतों और बाहरी खाद्य पदार्थों पर प्रतिबंध को चुनौती दी गई थी।
  • अदालत ने कहा:
    • “लोगों को सिनेमा हॉल में अपना खाना लाने की अनुमति होनी चाहिए।”
    • “मल्टीप्लेक्स को बाहरी खाद्य पदार्थ पर प्रतिबंध लगाने का अधिकार नहीं है।”

(ख) दिल्ली उपभोक्ता मंच:

  • एक उपभोक्ता ने सिनेमा हॉल में पॉपकॉर्न की अत्यधिक कीमतों के खिलाफ शिकायत दर्ज की।
  • उपभोक्ता ने इसे “अनुचित व्यापार व्यवहार” बताया।
  • इस केस में मंच ने कीमतों को अधिक पारदर्शी बनाने की सिफारिश की।

(ग) सुप्रीम कोर्ट में बहस:

  • सुप्रीम कोर्ट ने इस विषय पर टिप्पणी की कि सिनेमा हॉल में अत्यधिक कीमतें “विलासिता की वस्तु” मानी जा सकती हैं और इसे नियंत्रित करना सरकार का दायित्व है।

3. पॉपकॉर्न की अत्यधिक कीमतें: सिनेमा हॉल बनाम बाजार:

माध्यम कीमत (₹/500 ग्राम) टैक्स की दर (GST)
सामान्य बाजार 50-70 5% या 0%
ऑनलाइन ब्रांडेड 150-250 18%
सिनेमा हॉल 300-500 18%+सर्विस टैक्स

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